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🌹वीर वधू की पीड़ा हिन्दी मे🌹

मेरी घुल गई आंखो काजल रेख                        आंखों मे आंसू अब ना रूके ओढ़ तिरंगा घर को आये , नयन मेरे भर आये कुटुम्ब आज तो सारा रोये                                   झुका है तिरंगा तेरी शान॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  लोंग उतारा मेरे नाक का , चूड़ी टूटी आज बिंदिया मेरी पोछ दी रे                                     मांग मिटी है मेरी आज॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  हाथो की तो मेहंदी मिट गई , बिटिया रोती आज बिटिया की शादी से पहले                                    छोड़ दिया क्यू मेरा साथ॥ आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  बालक पास आपके बैठे , गुमसुम देखो आज                           इनका कौन करेगा अब तो लाड़॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  बहिन आपकी आज रो रही , नदिया नयन बनाय                         ये तो किसके बांधेगी राखी आज ॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  मात पिता भी दोनो रोते , सागर नयन बनाय                                   ये तो सारी उमर भर रोय ॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  मन का दर्द दबा कर मन मे ,

🌹राधा का विरह🌹

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 🌹प्रस्तुत गीत राधा का विरह 🌹 तोरे संग बिना जीवन मोरा              कोरा कोरा है सांवरिया जब से गोकुल तुम छोड़ गये         तोरी याद सताती सांवरिया आंखो के आंसू रोक गये        निंदिया तुम ले गये सांवरिया मोरी भूख प्यास तो छूट गई           मन से हो गई मै बावरिया मन कृष्ण कृष्ण अब रटता है       मै बनी आज तोरी जोगनिया यादे ताजा फिर आज हुयी             यमुना वाली हे सांवरिया तोरी याद सताती है मुझको            क्यु भूल गये हो सांवरिया तुम बने द्वारिकानाथ कृष्ण             कब दर्शन दोगे सांवरिया मै याद करू हे गिरिधारी              अब दर्शन देदो सांवरिया आजाओ हे श्री नाथ आज             फिर रास रचाये सांवरिया मन आज मिलन को तड़फ रहा          अब आन मिलो हे सांवरिया मधुबन की राते याद करो          अब विरह मिटा दो सांवरिया  कॉपीराइट © भीकम जांगिड़ कवि भयंकर

🌹अवसाद🌹

 प्रेम रस ही सदा मैने              तुम्हे ही तो पिलाया है गमो का जहर ही तूने            सदा मुझको पिलाया है अमिरष का रहा प्यासा             सदा विष ही पिलाया है प्यार के नाम पर हरदम              क्रोध अपना दिखाया है तीर चुभते शब्द का ही                     सदा तूने चलाया है सुरीले गीत के बदले                सदा दिल को जलाया है प्रेम से बोल कर मैने                 सदा तुमको हंसाया है बोल कड़वे बोल कर के                  सदा मुझको रुलाया है गीत मैने सदा तुमको                    प्रेम का ही सुनाया है विषेली जीभ से तूने                     गीत मेरा जलाया है पुष्प के बाण के बदले                    बाण अग्नि चलाया है कटीले शब्द से तूने                    सदा मुझको जलाया है गुलाबी फूल से तेरे                    केश को ही सजाया है उतारा केश से उसको                       पांव से ही दबाया है गुलाबी फूल तो मेरा                        सदा तूने मिटाया है दिखा कर क्रोध ही अपना                        प्यार मेरा भुलाया है   कॉपीराइट © भीकम जांगिड़ कवि भयंकर