🌹आध्यात्मिक रचना 🌹
क्या लेकर आया रे मानव किस चिंता मे आज पड़ा अंतिम सत्य यही जीवन का चिता भूमि मे आज पड़ा जीवन तो तपते सूरज सा हर प्राणी तपता रहता है इच्छाओ के लाक्षागृह मे हर मानव जलता रहता है जीवन तो रण कुरूक्षेत्र है अपनो की बाधाएं है अपनो की इन बाधाओ से अर्जुन सा तू लड़ता है जीवन द्रोण चक्रव्यूह जैसा हर प्राणी फंस जाता है श्री कृष्ण का नाम जपे तो भव से नर तर जाता है धूप छाँव सा ये जीवन है संघर्षो से भरा हुआ है जो होना है वह होता है फिर काहे तू रोता है जीवन भर बैलो के जैसे खुद के खातिर दौड़ा है अपनो के खातिर तूने धन अंत समय मे छोड़ा है सोना चांदी और महल को तूने आज यही छोड़ा है रिश्ता चार दिनो का जग मे मोह माया से भरा पड़ा है कोई साथ नही तेरे ही सब ने तुझको तो छोड़ा है तेरी स्वांस नही तेरी ही उसने भी तुझको छोड़ा है धरती पर तू आज अकेला