🌹राजस्थानी भाषा पर्यावरण संदेश🌹
🌹राजस्थानी भाषा पर्यावरण संदेश🌹 हरिया रूख तो मत काटो रे थे खुद भी मिट जाओला डूंगर ने मत रेत करो रे रेत रेत हो जाओला डूंगर रेत रेत हो जासी थे खुद ही पछताओला बिन डूंगर नदिया नही रहसी तिरसाया मर जाओला हरिया रूख तो मत काटो रे धरा मरू हो जावेला नदिया सूखी प्यासी धरती शाख कठा सू पावोला बिन नदिया के पाणी के तो ऐक रूख नही पाओला बिना रूखड़ा के तो भाया छाया भी नही पाओला सूरजड़ो आकाश तपसी तप तप थे मर जाओला सूखा बेरा प्यासी धरती अन्न कठा सू पाओला गाय भैंस सपना मे देखो दूध कठा सू पावोला सागर की लहरा मे गन्दी चीजा ने मत पटको रे जो तूफान उठे सागर मे थे खुद भी मिट जाओला हरिया रूख तो मत काटो रे थे खुद भी मिट जाओला डूंगर ने मत रेत करो रे रेत रेत हो जाओला कॉपीराइट ©