संदेश

🌹नेता जी को भारत दर्शन 🌹

 🌹मनहरण घनाक्षरी छंद 🌹 वोट मांगने को जो भी,नेता घर आते है तो, आईने मे चेहरा तो,उनको दिखाईये॥ इतने बरस कैसे,भूल गये आप हमे, आज कैसे याद आई,हमे तो बताईये॥ आये हुए नेताओ से,आप जरा पूछीये जी, किये हुए अच्छे काम,हमे तो बताईये॥ कुछ साल पहले थी,जो साईकिल आपकी, आज कहाँ पड़ीजरा,हमे तो बताईये॥  बिच्छू नाम धारी गाड़ी,कीमते है भारी फिर, किस विधी लाये आप,हमे तो बताईये॥ ऐक छोटा घर था जी,छोटे से ही गाँव मे तो, कैसे बनी होटले जी,हमे तो बताईये॥ आये हुए नेताओ को,गाँवो की शहरो वाली, बस्तिया भी थोड़ी सी तो,आप दिखलाईये॥ नगरो के बीच वाली,बस्तीयो मे टूटी फूटी, सड़के तो नेताजी को,आप दिखलाईये॥ कचरे का ढेर चारो,ओर लगा हुआ है जो, बह रहा सड़को पे,पानी भी दिखाईये॥ चारो ओर घास उगी ,मच्छरो का जोर यहाँ, कांगरेस घास पूस,उनको दिखाईये॥  खुली है जो नालीयो मे ,गिरता है कचरा भी, नालीयो मे रुका हुआ,कीचड़ दिखाईये॥ कच्ची बस्तीयो के बीच ,फैल रहा कीचड़ है, रोशनी से हीन घर,उनको दिखाईये॥ पीने को तो पानी नही,टूटा हैण्डपम्प ऐक, खाली गागरी की आज,कतारे दिखाईये॥ गाँवो की जो सड़के है,शहरो को ही जोड़ती, नेताओ की कारे जरा,उनपे चलाईये॥ 

🌹आध्यात्मिक रचना 🌹

 क्या लेकर आया रे मानव               किस चिंता मे आज पड़ा अंतिम सत्य यही जीवन का               चिता भूमि मे आज पड़ा जीवन तो तपते सूरज सा               हर प्राणी तपता रहता है इच्छाओ के लाक्षागृह मे             हर मानव जलता रहता है जीवन तो रण कुरूक्षेत्र है                    अपनो की बाधाएं है अपनो की इन बाधाओ से                  अर्जुन सा तू लड़ता है जीवन द्रोण चक्रव्यूह जैसा                   हर प्राणी फंस जाता है श्री कृष्ण का नाम जपे तो                   भव से नर तर जाता है धूप छाँव सा ये जीवन है                  संघर्षो से भरा हुआ है जो होना है वह होता है                    फिर काहे  तू रोता है जीवन भर बैलो के जैसे                 खुद के खातिर दौड़ा है अपनो के खातिर तूने धन                   अंत समय मे छोड़ा है सोना चांदी और महल को                  तूने आज यही छोड़ा है रिश्ता चार दिनो का जग मे                मोह माया से भरा पड़ा है कोई साथ नही तेरे ही                सब ने तुझको तो छोड़ा है  तेरी स्वांस नही तेरी ही                  उसने भी तुझको छोड़ा है धरती पर तू आज अकेला          

🌹प्रारंभिक सम्मान 🌹

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      🌹गणेश जी माँ शारदे को नमन🌹         🌹मंच ऐवं श्रोताओ को नमन🌹 गजानंद को नमन मेरा                    शरण मे तो सदा रखना शारदे को नमन मेरा                         मुझे आशीष तो देना सदा शिव के ही चरणो मे                      झुकाऊं शीश मै अपना फूल शब्दो के मेरे संग                     आप सब भी चढ़ा देना कवि तो नाम है शिव का                    आप सब जान भी लेना नमन शिव को करू मै तो                   नमन सब आप भी करना नमन है मंच को भी तो                          मुझे आशीष दे देना कलम से चूक हो कोई                     मुझे सब माफ कर देना अनुज हुं मै सभी का तो                        दिलो मे ही बसा लेना नमन है आप सब को भी                       तालिया तो बजा देना   कॉपीराइट © भीकम जांगिड़ कवि भयंकर

🌹माँ शारदे को नमन🌹

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                                     ||जय माँ शारदे|  || सरस्वती वन्दना || आप ही हो कलम मेरी ,                    स्वयं ही माँ भारती  नमन मै तुमको करू ,           निश दिन उतारू आरती  शब्द पुष्पों की ही माला ,                    तुम गले स्वीकारती  नादान हु मै पुत्र तेरा ,                        शारदे माँ भारती  वाणी में अमृत हो तुम ही ,                       प्रेम रस माँ भारती  तीर भी तलवार भी तुम ,                      कलम में माँ भारती  दुष्ट की गरदन को माँ तुम ,                      कलम से ही काटती गीत गाये मेरा मन बस ,                        भारती माँ  भारती    गद्य पद्य छन्द से ही ,                        रोज करलू आरती      कॉपीराइट © भीकम जांगिड़ कवि भयंकर

🌹वीर वधू की पीड़ा हिन्दी मे🌹

मेरी घुल गई आंखो काजल रेख                        आंखों मे आंसू अब ना रूके ओढ़ तिरंगा घर को आये , नयन मेरे भर आये कुटुम्ब आज तो सारा रोये                                   झुका है तिरंगा तेरी शान॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  लोंग उतारा मेरे नाक का , चूड़ी टूटी आज बिंदिया मेरी पोछ दी रे                                     मांग मिटी है मेरी आज॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  हाथो की तो मेहंदी मिट गई , बिटिया रोती आज बिटिया की शादी से पहले                                    छोड़ दिया क्यू मेरा साथ॥ आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  बालक पास आपके बैठे , गुमसुम देखो आज                           इनका कौन करेगा अब तो लाड़॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  बहिन आपकी आज रो रही , नदिया नयन बनाय                         ये तो किसके बांधेगी राखी आज ॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  मात पिता भी दोनो रोते , सागर नयन बनाय                                   ये तो सारी उमर भर रोय ॥  आंखों मे आंसू अब ना रुके॥ मेरी घुल गई..॥  मन का दर्द दबा कर मन मे ,

🌹राधा का विरह🌹

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 🌹प्रस्तुत गीत राधा का विरह 🌹 तोरे संग बिना जीवन मोरा              कोरा कोरा है सांवरिया जब से गोकुल तुम छोड़ गये         तोरी याद सताती सांवरिया आंखो के आंसू रोक गये        निंदिया तुम ले गये सांवरिया मोरी भूख प्यास तो छूट गई           मन से हो गई मै बावरिया मन कृष्ण कृष्ण अब रटता है       मै बनी आज तोरी जोगनिया यादे ताजा फिर आज हुयी             यमुना वाली हे सांवरिया तोरी याद सताती है मुझको            क्यु भूल गये हो सांवरिया तुम बने द्वारिकानाथ कृष्ण             कब दर्शन दोगे सांवरिया मै याद करू हे गिरिधारी              अब दर्शन देदो सांवरिया आजाओ हे श्री नाथ आज             फिर रास रचाये सांवरिया मन आज मिलन को तड़फ रहा          अब आन मिलो हे सांवरिया मधुबन की राते याद करो          अब विरह मिटा दो सांवरिया  कॉपीराइट © भीकम जांगिड़ कवि भयंकर

🌹अवसाद🌹

 प्रेम रस ही सदा मैने              तुम्हे ही तो पिलाया है गमो का जहर ही तूने            सदा मुझको पिलाया है अमिरष का रहा प्यासा             सदा विष ही पिलाया है प्यार के नाम पर हरदम              क्रोध अपना दिखाया है तीर चुभते शब्द का ही                     सदा तूने चलाया है सुरीले गीत के बदले                सदा दिल को जलाया है प्रेम से बोल कर मैने                 सदा तुमको हंसाया है बोल कड़वे बोल कर के                  सदा मुझको रुलाया है गीत मैने सदा तुमको                    प्रेम का ही सुनाया है विषेली जीभ से तूने                     गीत मेरा जलाया है पुष्प के बाण के बदले                    बाण अग्नि चलाया है कटीले शब्द से तूने                    सदा मुझको जलाया है गुलाबी फूल से तेरे                    केश को ही सजाया है उतारा केश से उसको                       पांव से ही दबाया है गुलाबी फूल तो मेरा                        सदा तूने मिटाया है दिखा कर क्रोध ही अपना                        प्यार मेरा भुलाया है   कॉपीराइट © भीकम जांगिड़ कवि भयंकर